केरल में यूं तो हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन होता है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं हो सका। केरल ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ रहने का फैसला किया। सत्तारूढ़ मोर्चे ने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ को राज्य में शर्मनाक हार दी है। लोकसभा चुनाव में 20 में से 19 सीटें प्राप्त करने वाली इस गठबंधन को सिर्फ 41 सीटों पर जीत मिली। यूडीएफ का प्रदर्शन सिर्फ एर्नाकुलम और कोट्टायम तक सीमित रहा।
वास्तव में, यूडीएफ की अग्रणी पार्टी कांग्रेस ने सबसे सबसे खराब प्रदर्शन किया है। जिन 93 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उनमें से आधे में नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारा था। उनमें से सिर्फ 21 सीटों पर जीत मिली है। राहुल गांधी की वायनाड लोकसभा सीट पर भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। राहुल ने वायनाड की जिन सात सीटों पर बड़े पैमाने पर प्रचार किया, उनमें से तीन सीटों पर चुनाव हार गई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने हार को अप्रत्याशित बताया।.