हजरतगंज लखनऊ स्थित सिब्तैनाबाद मक़बरा जहां संभवतः हम आप भी शादी-वलीमा आदि के कार्यक्रम में गए होंगें ,और ऐसा भी नहीं , कि इस एतिहासिक मक़बरे में जो शादियां -वलीमे होते हैं ,उसका हम आपसे पैसा नहीं लिया जाता । विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इस मैरिज लॉन को शादी-वलीमे के लिए बुकिंग कराने के लिए महीनों पहले से दौड़ना पड़ता है। कहने का तात्पर्य यह है कि उक्त लान के लिए पूरे साल शादी ब्याह के समय में बुकिंग की कोई कमी नहीं रहती।
मकबरे के अंदर के हिस्से में स्थित गेट ( अंदर का गेट) का निर्माण एवं मरम्मत एएसआई द्वारा किया जाता है।बाहर का गेट जोकि हजरतगंज मेन रोड, हलवासिया मार्केट के सामने है, मायावती सरकार में हजरतगंज के सुंदरीकरण के समय गेट के मेन द्वार पर छोटी पार्क व एक फाउंटेन लगा दिया गया था, जिसकी वजह से मेन द्वार से इमामबाड़े के अंदर आना बंद हो गया जिस पर ऐतिहासिक इमारतों से प्रेम रखने वाले लोगों ने आपत्ति जताई थी पर दुर्भाग्य से उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई ।रास्ता बंद हो जाने की वजह से गेट में अनेकों अवैध क़ब्जे , अवैध अतिक्रमण आदि ज़ोरों पर हुए जिसमें सबसे ज़्यादा अवैध कब्जे हजरतगंज के प्रमुख व्यवसायियों द्वारा किए गए। उसके पश्चात कई महीनों से इस मेन गेट के पास में जो कि मक़बरे की प्रॉपर्टी है , अवैध निर्माण जोर- शोर से बगैर किसी शासन-प्रशासन के भय के चल रहा था । ऐतिहासिक इमारतों से प्रेम रखने वाली, कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने जिसको रोकने का भरपूर प्रयास किया पर शासन व प्रशासन मक़बरे के अवैध निर्माण को रोकने में असमर्थ रहा। जिसकी वजह से मेन गेट का आधा हिस्सा दिनांक 2 अप्रैल 2020 को दोपहर में गिर गया । लखनऊ में रहने वाले इतिहासविद राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों से प्रेम रखने वाले लोगों को इस गेट के पुनः निर्माण के लिए व इस मक़बरे की आमदनी को उजागर करने के लिए आवाज बुलंद करनी चाहिए ताकि ऐसी इमारतों का संरक्षण सही तरीके से हो सके व किसी भी तरह के पुनः निर्माण हेतु धन की उपलब्धता के लिए एएसआई व अन्य सरकारी संस्थाओं पर निर्भरता को कम किया जा सके।