लखनऊ, 07 अगस्त, 2020, मौलाना सैय्यद सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि हमारी कौम की पहचान ईद गदीर और अज़ादारी ए इमाम हुसैन से है।
इसलिए, लोगोें से अपील की जाती है कि 18 ज़िलहिज्जा से 24 ईद मुबहिला तक हफताए विलायत का आयोजन किया जाए, क्योंकि यह सप्ताह लोगों की खुशी का सप्ताह है। लोगों को पता होना चाहिए कि ईद-उल-फितर एक श्रद्धेय ईद है जिसे कई दिनों तक मनाया जाता है। पूरा समाज ईद-उल-फितर से परिचित है इसी तरह, ईद-उल-अज़हा भी एक श्रद्धेय ईद है और यह भी कई दिनों तक मनाई जाती है। ईद गदीर पैगंबर की ईद है, यानी अल्लाह की सबसे बड़ी ईद। ऐसी श्रद्धेय ईद कुछ घंटों में पूरी हो जाती है।
हालाँकि ऐतिहासिक रूप से मुबाहेला का वाकेया पहले हुवा और गदीर बाद में हुई है हमें प्रकृति द्वारा इस में संकेतों को समझने की आवश्यकता है, जैसे 18 ज़िल-हिज्जाह को इलाने विलायत अमीरूल मुमेनीन हुवा और 24 ज़िल-हिज्जाह ईद मुबाहिला है। उस दिन, पंजतन मुबाहिला के मैदान में आए और उनकी महिमा और महिमा को देखते हुए, नजरान के ईसाइयों ने कहा कि यदि वे पहाड़ों से कहेे तो पहाड़ अपने स्थान से दूर चले जाएंगे। इसलिए, ईश्वरीय संकेत को समझते हुए, हमें ईद-उल-गदीर से ईद-उल-मुबहिला तक हफते ए विलायत मनाना चाहिए ताकि हमारे पास इस सम्मानजनक ईद को अन्य समुदाय के लागों ता पहुचाने का समय मिल सके ह। यह हमें यह देखना चाहिए कि जब हम ईद गदीर का जश्न, नज़र आदि को एक सप्ताह के तक मनाते हैं, तो समाज का हर तबका इस बात से आकर्षित होगा कि यह ईद गदीर कि आप एक सप्ताह के लिए मना रहे हैं, तो आप लोग ईद-उल-गदीर की महानता से लोगों को परिचत करा सकते है और ईद-उल-फित्र और ईद-उल-कुर्बान की तरह इंशा-अल्लाह, ईद-उल-गदीर भी समाज के प्रत्येक सदस्य तक पहुँचेगा।