इतिहास गवाह है कि सत्ता का घमंड कभी फला नहीं है। सैयद तक़वी

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    पूरी दुनिया में कोविड 19 यानी कोरोनावायरस का आतंक मचा हुआ है हर इंसान उस से घबराया और परेशान सा दिखाई दे रहा है जो उस से ग्रसित हैं वह भी परेशान हैं और जो बचे हुए हैं वह डर से परेशान हैं लेकिन इसी महामारी के दौर में जब राजनीति पर या राजनीतिक पार्टियों पर नजर पड़ती है तो सत्ताधारी पार्टी को देखने से पता चलता है कि न जाने कौन सा ऐसा वायरस जिस ने राजनीति को डस लिया है कि उसके अंदर अहंकार के वायरस फैल गए। और इस वायरस ने तमाम नेताओं को प्रभावित कर दिया है जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि नेता तो नेता जनता भी इसका शिकार हो रही है वह भी बच नहीं पा रही है चाहे वह मजदूर हो किसान हो वह गरीब हो या फिर मध्यम वर्ग के लोग सब सत्ता के अहंकार का शिकार हो चुके हैं मजदूर पैदल चलकर मरा जा रहा है किसान खेतों में मरा जा रहा है गरीब भूख से मारा जा रहा है और मध्यम वर्ग अपने आप को संभालने में मरा जा रहा है।
    आज के दौर में राजनीति का मतलब सिर्फ रैलियां भाषण बाजी और जनता को संबोधन रह गया लेकिन एक दौर था जब जनता के लिए काम होता था और देश के नाम पर जान न्योछावर कर दी जाती थी स्व राजीव गांधी और स्व इंदिरा गांधी इसकी मिसाल हैं जिन्होंने देश के ऊपर अपनी जान कुर्बान कर दी।
    लेकिन अफसोस!
    आज के दौर में शहीद की बेटी और पोती को निशाना बनाया जा रहा है यह शहीद का अपमान है।
    केंद्र सरकार ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को एक महीने के भीतर दिल्ली स्थित लोधी एस्‍टेट वाले सरकारी आवास को खाली करने का आदेश दिया है। इससे पहले पिछले साल भाजपा सरकार ने गांधी परिवार से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा वापस ले ली थी। जबकि सरकार को अच्छी तरह मालूम है कि गांधी परिवार को कितना खतरा है लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा हटाने जैसा खतरनाक कदम उठाया गया। आवास खाली कराए जाने के पीछे इसी को वजह बताया गया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सुरक्षा कवर को रद्द करने के परिणामस्वरूप, प्रियंका गांधी सरकारी आवास की हकदार नहीं हैं। प्रियंका गांधी से एक अगस्त से पहले आवास को खाली करने के लिए कहा गया है।
    जारी आदेश मैं कहा गया है कि, ‘एसपीजी सुरक्षा वापस लेने और Z+ सुरक्षा प्रदान किए जाने के आधार पर, आपके लिए किसी भी सरकारी आवास के आवंटन का प्रावधान नहीं है। ऐसे में टाइप 6 बी हाउस नंबर 35, लोधी एस्टेट का आवंटन रद्द किया जाता है।’ मंत्रालय के आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर वह अगले महीने में आवास खाली नहीं करती हैं तो फिर उन्हें नियमों के मुताबिक किराया अथवा क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा।
    सोचने और चिंतन करने वाली बात कि अगर एक शहीद के परिवार के सदस्यों के लिए आवास उपलब्ध नहीं है तो आखिर आवास किसके लिए उपलब्ध है?
    अगर इसकी तह में जाया जाए इसका मूल्यांकन किया जाए तो यह बात साफ जाहिर होती है कि जिस तरह से राहुल गांधी सरकार को निशाने पर लिए हुए हैं और लगातार सवाल पर सवाल पूछे चले जा रहे हैं उससे भाजपा में खलबली मची हुई है दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने जब से कमान संभाली है उत्तर प्रदेश सरकार परेशान दिखाई दे रही है आज की स्थिति यह है कि प्रियंका गांधी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कांग्रेस जनों के साथ सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं भले ही उन्हें जेलों की यात्रा करनी पड़ रही है। आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है और यह कार्य अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रहा है और बदलती राजनीति की तरफ इशारा भी कर रहा है।
    उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के आगमन और अजय कुमार लल्लू की संघर्षमय उपस्थिति ने राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। जब से प्रियंका गांधी और अजय कुमार लल्लू ने कमान संभाली है तब से इस कमान की कड़क और गरज में उत्तर प्रदेश की दूसरी पार्टियां समाजवादी और बसपा हाशिए पर चली गई हैं।
    आने वाला समय में पता चल जाएगा कि राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा।
    जयहिंद।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    syedtaqvi12@gmail.com

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