ईरान और इजरायल के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जिसने मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। शुक्रवार, 13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किए। इस हमले को इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम दिया और इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए “प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक” बताया। जवाब में, ईरान ने इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया, जिसे ईरानी सशस्त्र बलों ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस” नाम दिया। यह हमला ईरान की ओर से इजरायल के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई माना जा रहा है।
घटनाक्रम का विवरण:
इजरायल का हमला: इजरायली रक्षा बल (IDF) ने तेहरान सहित ईरान के कई सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। IDF ने दावा किया कि यह हमला ईरान के परमाणु बम बनाने की क्षमता को रोकने के लिए जरूरी था। हमले में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर-इन-चीफ जनरल हुसैन सलामी सहित कई वरिष्ठ ईरानी अधिकारी मारे गए, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है। तेहरान के चिटगर इलाके से धुआं उठता देखा गया।
ईरान का पलटवार: ईरान ने इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें, जिनमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें शामिल थीं, दागीं। इजरायली वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे आयरन डोम और एरो-3, ने अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। एक सैन्य अड्डे को मामूली क्षति और एक 10 वर्षीय बच्ची को मलबे से चोट लगने की खबर है।
पिछले तनाव का संदर्भ: यह तनाव 1 अक्टूबर 2024 को ईरान द्वारा इजरायल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागने और 26 अक्टूबर 2024 को इजरायल के जवाबी हमले से शुरू हुआ था। दोनों देश 2024 से प्रत्यक्ष सैन्य टकराव में हैं, जिसमें हिजबुल्लाह और हमास जैसे ईरानी प्रॉक्सी समूह भी शामिल हैं।
प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
ईरान: सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने इजरायल के हमले को “खूनी अपराध” करार दिया और कड़ी सजा की धमकी दी। ईरानी सशस्त्र बलों के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ने चेतावनी दी कि इजरायल की जवाबी कार्रवाई का अगला हमला “कहीं अधिक विनाशकारी” होगा।
इजरायल: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले को इजरायल के अस्तित्व के लिए जरूरी बताया। रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने देश में आपातकाल घोषित किया और चेतावनी दी कि ईरान के जवाबी हमले की स्थिति में इजरायल तैयार है।
अमेरिका: अमेरिका ने कहा कि वह इस हमले में शामिल नहीं था, लेकिन स्थिति पर नजर रख रहा है। सीनेटर टेड क्रूज ने इजरायल के हमले का समर्थन करते हुए कहा कि यह परमाणु ईरान के खतरे को रोकने के लिए जरूरी था।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय: जर्मनी, फ्रांस और स्विट्जरलैंड ने तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने की अपील की।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक माध्यमों से तनाव कम करने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, “भारत दोनों पक्षों से आग्रह करता है कि वे ऐसे किसी भी कदम से बचें जिससे तनाव और बढ़े। मौजूदा संवाद और कूटनीतिक माध्यमों का उपयोग करके स्थिति को शांत करने और मूल कारणों के समाधान की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।” भारत ने ईरान और इजरायल में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की, जिसमें सतर्क रहने, स्थानीय अधिकारियों के दिशानिर्देशों का पालन करने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई। भारत ने दोनों देशों के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों का हवाला देते हुए मध्यस्थता के लिए तत्परता जताई।
विश्लेषण:
यह तनाव ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इजरायल की सुरक्षा चिंताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित है। इजरायल का मानना है कि ईरान का परमाणु हथियार विकसित करना उसके लिए अस्तित्व का संकट है, जबकि ईरान इसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा मानता है। दोनों देशों के बीच प्रॉक्सी युद्ध से शुरू हुआ टकराव अब प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाइयों तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा है, खासकर तेल आपूर्ति और समुद्री व्यापार पर इसके प्रभाव को देखते हुए।
आगे की संभावनाएं:
युद्ध का खतरा: यदि दोनों देश जवाबी कार्रवाइयों का सिलसिला जारी रखते हैं, तो मध्य पूर्व में एक व्यापक युद्ध छिड़ सकता है, जिसमें अमेरिका, रूस और अन्य क्षेत्रीय शक्तियां शामिल हो सकती हैं।
कूटनीतिक प्रयास: संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तनाव कम करने के प्रयास तेज हो सकते हैं। भारत जैसे तटस्थ देश मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव: तेल की कीमतों में उछाल और वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है, जिसका भारत जैसे आयातक देशों पर सीधा प्रभाव होगा।
निष्कर्ष:
ईरान और इजरायल के बीच तनाव ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। दोनों देशों की सैन्य कार्रवाइयां और कट्टर बयानबाजी स्थिति को और जटिल बना रही हैं। भारत की संयमित और कूटनीतिक प्रतिक्रिया क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक संदेश देती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल हस्तक्षेप कर इस संकट को सुलझाने की जरूरत है, अन्यथा इसके परिणाम वैश्विक स्तर पर भयावह हो सकते हैं।