शहरे अज़ा लखनऊ के मशहूर व मारूफ आलिमे दीन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आलीजनाब मौलाना सैय्यद इब्ने हैदर साहब का आज इंतकाल हो गया। मौलाना इधर कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
मौलाना एक आलिमे बा अमल इंसान थे उनके इंतकाल से इल्म का एक दरवाजा बंद हो गया। उनकी जबान से जिस तरीके से उर्दू के अल्फाज फूलों की शक्ल में लोगों के सामने आते थे उसको लोग कभी भुला नहीं सकते।
मौलाना इब्ने हैदर साहब मरहूम इल्म का मोरक्का थे। आज उर्दू जबान एक आलिमे बाअमल इंसान से महरूम हो गई। दुनिया में लोग आवाज में धुन और साज़ ढूंढते हैं। मगर मौलाना अपने बयान में अल्फाजों का ऐसा जाल बुनते थे जिसमें लोगों को धुन और साज़ सुनाई देता था।
उर्दू अल्फाजों को एक तार में पिरो कर के जुमले की शक्ल में लोगों के सामने पेश करना उनका एक कमाल का हुनर था। अल्फाजों की अदायगी एक ऐसा समां पैदा करती थी कि सुनने वाले उनको एक टक देखा करते थे। उनकी जबान में ऐसी चाशनी थी कि जिस में डूब कर अल्फाजों की अदायगी से लोगों के कानों में एक मीठा रस घुल जाता था। दौरे हाजिर में लखनऊ में अब कोई ऐसा बा कमाल और उर्दू जबान को जिंदगी अता करने वाला दूसरा कोई इंसान नजर नहीं आता। आज पूरी एक सदी खामोश हो गई। इकबाल ,अनीस और दबीर की रूह भी तड़प गई होंगी।
शायद आज लखनऊ की उर्दू जबान को भी यह एहसास हुआ होगा कि आज उर्दू जबान यतीम हो गई।
सूरह फातिहा की गुजारिश।
सैय्यद एम अली तक़वी
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