23/5/2020
”केंद्र सरकार ने खुद के लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है और इसके मन में गरीबों-मजदूरों के मन में किसी भी तरह की दया और करुणा का भाव नहीं है। सरकार की ओर से घोषित किए गए आर्थिक पैकेज में सुधारों के नाम पर केवल दिखावा ही किया गया है।’ यह बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शु्क्रवार को विपक्षी पार्टियों के साथ पहली ऑनलाइन बैठक के दौरान कही। बैठक में कोरोना वायरस संकट पर चर्चा हुई। कोविड-19 महामारी से निपटने में पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के तौर तरीके की आलोचना करते हुए कांग्रेस प्रमुख ने कहा, “सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित हैं।” उन्होंने कहा कि “संघवाद की भावना हमारे संविधान का अभिन्न अंग है लेकिन इसे भुला दिया गया है। इस बात के कोई संकेत नहीं है कि संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को कब मिलने के लिए बुलाया जाएगा।” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बैठक में शामिल हुए लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल इससे नदारद रहे। इन तीनों ही पार्टियों के कांग्रेस से अपने सियासी मसले हैं। इस दौरान सोनिया गांधी ने पीएम के आर्थिक पैकेज को देश के साथ ‘क्रूर मजाक’ की तरह बताया।
इस दौरान सोनिया गांधी ने सरकार की कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने की रणनीति पर निशाना साधा और कहा कि लगातार लॉकडाउन ने बहुत अधिक सकारात्मक परिणाम नहीं दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई। ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है। मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी। उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है।