देहरादून, अशोक केडियाल। कास्मेटिक इंडस्ट्री ने चीन से आयात होने वाले कच्चे माल को लेकर भले ही अभी तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया है, लेकिन कोरोनाकाल में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के भीतर चीन का बाजार सिमटा है। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का केमिकल ही नहीं, बल्कि रेडी टू यूज कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का भी करोड़ों रुपये का आयात प्रति वर्ष किया जाता है। ऐसे में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से कई उद्योगों ने अब अपने उत्पादों को कम कीमत पर बाजारों में उपलब्ध करवाने की मुहिम शुरू कर दी है। उत्तराखंड और हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र में कई हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाले उद्योग स्थापित हैं, जो अब बड़े स्तर पर ऐसे प्रोडक्ट का उत्पादन शुरू कर चुके हैं। इन हर्बल कॉस्मेटिक्स उत्पादों के सहारे विदेशी सामान को चुनौती देने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तराखंड में तकरीबन 40 फीसद तक की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य की 327 कास्मेटिक इकाइयों में चीन का कारोबार सालाना करीब 1200 करोड़ रुपये था। हर्बल कास्मेटिक के बढ़ते चलन को देखकर चीन को और झटका लग सकता है। प्रदेश की इकाइयों में प्रतिवर्ष करीब 2,400 सौ क्विंटल कच्चे माल की खपत है।